कुछ ख्वाहिसों का दरिया चलता रहा
वो मुझसे मिलती गयी और मैं पिघलता रहा
क़ाश बता पाता की धड़कन की रुमानी तुम्ही हो
मगर कहने से हमेशा ये दिल उससे डरता रहा