तुम्हें कितना लिखू कितनी बार लिखू
कहो तो सात समंदर पार लिखू
दिन रात तो सोचता हूँ मैं तुम्हे अब क्या चाहती हो
कि मैं तुम्हारे लिए पुरी किताब लिखू