रूठा है कोई मगर बताना नहीं चाहता
जानता है कोई मगर मनाना नहीं चाहता
और ये दूरियाँ कही तन्हाई में ना बदल जाये
इंसान झुक कर खुद को उठाना नहीं चाहता