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वो मुझसे मिलती गयी और मैं पिघलता रहा

16 सितंबर 2025 by
sulekhnii@gmail.com

कुछ ख्वाहिसों का दरिया चलता रहा

वो मुझसे मिलती गयी और मैं पिघलता रहा

क़ाश बता पाता की धड़कन की रुमानी तुम्ही हो

मगर कहने से हमेशा ये दिल उससे डरता रहा

छुप छुप कर वो उसे चाहता है लेकिन